Not known Details About hanuman chalisa
Not known Details About hanuman chalisa
Blog Article
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
Nonetheless, once Hanuman was flying over the seas to go to Lanka, a drop of his sweat fell from the mouth of a crocodile, which finally changed into a newborn. The monkey child was sent through the crocodile, who was quickly retrieved by Ahiravana, and raised by him, named Makardhwaja, and built the guard from the gates of Patala, the former's kingdom.
भावार्थ – हे हनुमान जी! [जन्म के समय ही] आपने दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को [कोई] मीठा फल समझकर निगल लिया था।
Anjana presents birth to Hanuman in a forest cave, right after currently being banished by her in-guidelines. Her maternal uncle rescues her in the forest; even though boarding his vimana, Anjana unintentionally drops her little one over a rock. Having said that, the newborn continues to be uninjured though the rock is shattered. The baby is raised in Hanuruha, thus receiving the identify "Hanuman."
व्याख्या – मैं अपने को देही न मानकर देह मान बैठा हूँ, इस कारण बुद्धिहीन हूँ और पाँचों प्रकार के क्लेश (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश) तथा षड्विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर) website से संतप्त हूँ; अतः आप जैसे सामर्थ्यवान् ‘अतुलितबलधामम्‘ ‘ज्ञानिनामग्रगण्यम्‘ से बल, बुद्धि एवं विद्या की याचना करता हूँ तथा समस्त क्लेशों एवं विकारों से मुक्ति पाना चाहता हूँ।
“Hanuman will release People from troubles who meditate on him within their intellect, actions and words and phrases.”
भावार्थ – हे महावीर! आप वज्र के समान अंगवाले और अनन्त पराक्रमी हैं। आप कुमति (दुर्बुद्धि) का निवारण करने वाले हैं तथा सद्बुद्धि धारण करने वालों के संगी (साथी, सहायक) हैं।
बिना श्री राम, लक्ष्मण एवं सीता जी के श्री हनुमान जी का स्थायी निवास सम्भव भी नहीं है। इन चारों को हृदय में बैठाने का तात्पर्य चारों पदार्थों को एक साथ प्राप्त करने का है। चारों पदार्थों से तात्पर्य ज्ञान (राम), विवेक (लक्ष्मण), शान्ति (सीता जी) एवं सत्संग (हनुमान जी) से है।
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥ अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।
The Peshwa era rulers in 18th century city of Pune provided endowments to more Hanuman temples than to temples of other deities which include Shiva, Ganesh or Vitthal. Even in existing time you will discover more Hanuman temples in town plus the district than of other deities.[118]
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
यहाँ सर्वसुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख से है जो श्री मारुतनन्दन के द्वारा ही मिल सकता है।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ अन्त काल रघुबर पुर जाई ।
भावार्थ – जो प्राणी वीरश्रेष्ठ श्री हनुमान जी का हृदयसे स्मरण करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार की पीड़ाएँ समाप्त हो जाती हैं।